मदर्स-डे: सालभर जिम्मेदारियां उठाने वाली मां को समर्पित एक दिन
"पगली है दुनिया, रब को मनाने, मंदिर मज़ारों तक जाती है,
घर में ही मेरे होता है तीरथ, मुझको नज़र जब मां आती है"
इरशाद कामिल की ये पंक्तियां बखूबी हमारी ज़िन्दगी में मां के दर्जे़ को दर्शाती हैं।
भारत में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। वैसे तो अपनी माताओं के लिए हमेशा ही मन में प्यार और सम्मान होता है, पर इस दिन हम उस प्यार को, उनकी अहमियत को जताकर उन्हें खास महसूस करवाते हैं। मां और उसके बच्चे का रिश्ता सबसे प्यारा और सबसे मज़बूत माना जाता है, क्योंकि मां अपने बच्चे को दुनिया से 9 महीने ज्यादा जानती है।
मदर्स डे की शुरुआत साल 1912 से हुई, जब एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी कार्यकर्ता ने अपनी मां की मृत्यु के बाद उस दिन को 'मदर्स डे' की तरह मनाना शुरु कर दिया। चीन में 1997 को यह दिन गरीब माताओं की मदद के लिए सुनिश्चित किया गया था और जापान में बच्चे अपनी मां को इस दिन गुलनार और गुलाब के फूल उपहार में देते हैं।