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स्वर्णिम विजय दिवस: राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध को बताया 'भारत के सैन्य इतिहास का सुनहरा अध्याय'
स्वर्णिम विजय दिवस के अवसर पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिसंबर 15 को 1971 के युद्ध में सशस्त्र बलों के साहस को याद किया। रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, 'स्वर्णिम विजय दिवस' के अवसर पर हम 1971 के युद्ध के दौरान अपने सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को याद करते हैं। 1971 का युद्ध भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। हमें इस पर गर्व है। हमारे सशस्त्र बल और उनकी उपलब्धियां।"
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विजय दिवस के रूप में 1971 की जीत का जश्न मना रहा है भारत
देश में दिसंबर 16 को विजय दिवस मनाया जा रहा है। विजय दिवस को 1971 में भारत की पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने साहस, पराक्रम और शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाए थे। इस युद्ध के अंत के साथ ही एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ था। 1971 के इस युद्ध में पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था।
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1971 में पुंछ की लड़ाई के हीरो कर्नल पंजाब सिंह का कोरोना से निधन
1971 में पुंछ की लड़ाई के हीरो रहे कर्नल पंजाब सिंह का चंडीगढ़ के आर्मी हॉस्पिटल में निधन हो गया। कर्नल पंजाब सिंह कोरोना से रिकवर हो गए थे। एक हफ्ते पहले ही कोरोना की वजह से उनके बड़े बेटे का निधन दिल्ली में हो गया था। पाकिस्तान सैनिकों से आधे से भी कम होने के बावजूद भी उन्होंने दुश्मनों के मंसूबे नाकाम कर दिए थे। उनके अद्भुत साहस के लिए उन को वीर चक्र से नवाजा गया था।
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दो वक्त की रोटी के मोहताज हुए पूर्व सैनिक, बहादुरी के लिए मिल चुका है मेडल
भारत और चीन के बीच 1971 में हुए युद्ध में बहादुरी दिखाने के लिए मेडल ले चुके शेख अब्दुल करीम आज दो वक्त की रोटी के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहें हैं। 1964 में अपने पिता की जगह सैनिक बने शेख अब्दुल करीम आज ऑटो चलाने पर मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी के शासन में निकाले गए सेना के अतिरिक्त सैनिकों में से एक वो भी थे। आज उनके पास ना कोई जमीन है ना बेहतर रोज़गार जिसके चलते उन्हें ऑटो चलाना पड़ रहा है।
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