घास के फाइबर से होगी खाने की पैकिंग, प्लास्टिक से मिलेगा छुटकारा
‘सिनप्रोपैक’ नामक एक नई परियोजना के तहत खाने की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक की जगह अब घास के रेशे का इस्तेमाल किया जायेगा। यह 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल है। दुनिया भर में हर साल करीब 50,000 करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग किया जाता है, वहीं हर मिनट 10 लाख से अधिक थैलियों का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य पैकेजिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले डिस्पोजेबल प्लास्टिक का एक स्थायी विकल्प तैयार करना है।
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मछली के बेकार अंगों से वैज्ञानिकों ने तैयार किया बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक
वैज्ञानिकों द्वारा एक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाने में सफलता हासिल की गयी है जो मछली के बेकार अंगों जैसे सिर, हड्डियों और त्वचा से बना है। इस प्लास्टिक को एंजाइम लिपेस की मदद से एक बार उपयोग होने के बाद आसानी से बायोडिग्रेड किया जा सकता है। शोधकर्ताओं द्वारा जल्द ही इसके भौतिक गुणों पर भी अध्ययन किया जाएगा, जिससे इसको वास्तविक दुनिया में लाकर पैकेजिंग और कपड़ों के निर्माण में उपयोग किया जा सके।
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