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स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड के लिए करें आवेदन, बारिश में भीगने पर नहीं होते खराब
स्मार्ट कार्ड भारत सरकार के नाम पर जारी किए जाते हैं। बारिश हो, सर्दी हो या फिर तेज गर्मी, इस प्लास्टिक वाले कार्ड पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है। इसके लिए ऐज प्रूफ (जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, स्कूल प्रमाण पत्र, पासपोर्ट) ऐड्रेस प्रूफ (बैंक पासबुक, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट, जीवन बीमा पॉलिसी), आधार कार्ड अनिवार्य, वर्तमान निवास प्रमाण जरूरी है। अप्लाई के लिए भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की परिवहन सेवा… read-more
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केंद्र सरकार ने सिंगल- यूज प्लास्टिक पर लगाया बैन, उल्लंघन करने पर एक लाख फाइन और पांच साल की सजा
कचरे की मात्रा कम करने और प्लास्टिक की बर्बादी रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सिंगल- यूज प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है। आज से बाजारों में प्लास्टिक की कई चीजों की बिक्री बंद हो जाएगी। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक अगर कोई प्रतिबंद का उल्लंघन करता पाया गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें एक लाख के फाइन के साथ-साथ पांच साल की सजा या फिर दोनों हो सकते हैं।
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देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक सहित 19 चीज़ो पर जुलाई 1 से लगेगा प्रतिबंध
जुलाई 1 से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया जा रहा है। अलग-अलग दुकानों, होटलों और रेस्तरां में कई ऐसे आइटम है जो सिंगल यूज प्लास्टिक से बने होते हैं। इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर पर भी… read-more
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वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक को कुछ ही दिनों में नष्ट करने वाले एंजाइम को ढूंढा
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एंजाइम बनाया है जो प्लास्टिक के कंपोनेंट्स को बहुत जल्दी तोड़ देता है। इसपर एक शोध किया गया है, जिसे Nature जर्नल में पब्लिश किया गया है। इसे बनानी वाली टीम का कहना है कि प्लास्टिक प्रदूषण से दूषित जगहों को साफ करने के लिए भी हम इस एंजाइम वैरिएंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्लास्टिक से बने उत्पादों को एंजाइम एक सप्ताह में ही तोड़ देता है। कुछ को टूटने में केवल 24 घंटे का समय लगा।
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प्लास्टिक की वजह से ज़्यादा बढ़ रही हैं दिल संबंधित बीमारियां
प्लास्टिक को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की है। इसके मुताबिक हमारे शरीर मे दो तरह के प्लास्टिक जा रहे हैं, जिसे पैथेलेट प्लास्टीसाइजर कहते हैं। इसकी वजह से ही दिल संबंधित बीमारियां होती हैं। इसके अलावा हमारी आंतो में प्रेगनन एक्स नाम का एक रिसेप्टर होता है। जो DCHP केमिकल के ज़रिये हमारी आंतो के प्रेगनन एक्स को खराब कर देते हैं। जिससे केलोस्ट्रोल बढ़ने लगता है। यह स्टडी चूहों की आंतो पर की गई है।
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घास के फाइबर से होगी खाने की पैकिंग, प्लास्टिक से मिलेगा छुटकारा
‘सिनप्रोपैक’ नामक एक नई परियोजना के तहत खाने की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक की जगह अब घास के रेशे का इस्तेमाल किया जायेगा। यह 100 फीसदी बायोडिग्रेडेबल है। दुनिया भर में हर साल करीब 50,000 करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग किया जाता है, वहीं हर मिनट 10 लाख से अधिक थैलियों का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य पैकेजिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले डिस्पोजेबल प्लास्टिक का एक स्थायी विकल्प तैयार करना है।
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विश्व की 90% सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा सिर्फ 100 कंपनियां कर रहीं पैदा
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट और मिंडेरू फाउंडेशन की जॉइंट रिसर्च में सामने आया कि दुनिया भर के सिंगल यूज़ प्लास्टिक कचरे का 90% विश्व की सिर्फ 100 कंपनियां पैदा कर रही हैं। इसमें से सिर्फ 20 कंपनियां 55% कचरा पैदा कर रही है और इन कंपनियों को 60% वित्तीय मदद 20 बैंकों या संस्थानों से मिल रही है। इसमें अमेरिका की कंपनी डाउ केमिकल्स और चीन की पेट्रो कंपनी सिनोपेक के नाम भी शामिल है।
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