'अगस्त क्रांति': भारतीय स्वतंत्रता का शंखनाद
भारत छोड़ो आंदोलन को ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी शुरुआत 9 अगस्त, 1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ। ब्रिटिश साम्राज्य की समाप्ति के लिए, भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित होने के बाद ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी जी ने कहा कि, "एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको देता हूँ। इसे आप अपने ह्रदय में अंकित कर लें और अपनी हर सांस में उसे अभिव्यक्त करें। यह मंत्र है-“करो या मरो”। इस तरह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ एवं ‘करो या मरो’ भारतीयों का नारा बन गया।अरुणा आसफ अली ने 9 अगस्त को ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराकर आंदोलन को गति दी तो जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन इत्यादि नेताओं ने भूमिगत रहकर आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया। ब्रिटिश सरकार द्वारा पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियाँ की गई। आज इस मौके पे भारत के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने महान विभूतियों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।