वीर सावरकर-एक महान क्रांतिकारी, एक प्रखर राष्ट्रवादी
28 मई का दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी, प्रखर राष्ट्रवादी, श्री विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। सावरकर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। वीर सावरकर ने ही सन् 1857 कि लड़ाई को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम बताया था। वीर सावरकर एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में आयोजित शोकसभा का विरोध किया था। वीर सावरकर पर अंग्रेजी हुकूमत से माफी मांगने के साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में शामिल होने का आरोप भी लगाया जाता रहा है, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हे बरी कर दिया गया। सन् 1911 में वीर सावरकर को काला पानी की सजा सुनाई गई, जिसमें उन्हे नाना प्रकार की भीषण यातनाएँ दी गईं। जितना खौफ अंग्रेजी हुकूमत वीर सावरकर से खाती थी, उतना ही खौफ उनकी लेखनी से भी खाती थी। उनकी लिखी पुस्तक ‘1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ पर प्रकाशित होने से पूर्व ही प्रतिबंध लगा दिया। वीर सावरकर ने ही राष्ट्रध्वज के बीच में चक्र लगाने का सुझाव भी दिया था। फरवरी 26, 1966 को भारत माता के वीर सपूत का निधन हो गया।