महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाली प्रथम महिला थीं 'सुभद्रा कुमारी चौहान'
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म अगस्त 16, 1904 को इलाहाबाद के निहालपुर में हुआ था। सुभद्रा कुमारी चौहान को शुरू से ही लिखने का बहुत शौक था। उनकी अधिकतर रचनाओं में से राष्ट्रभक्ति की भावना झलकती थी। उनकी महारानी लक्ष्मीबाई के ऊपर लिखी एक सुप्रसिद्ध कविता 'बुंदेले हरबोलों के मुंह से हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' आज भी हर व्यक्ति बड़े शौक से पढ़ता और सुनता है। मात्र नौ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कविता लिख दी थी। उनकी बेटी सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में उनकी जीवनी लिखी है। सुभद्रा कुमारी चौहान स्वतंत्रता संग्राम में भी काफी सक्रिय थीं। सुभद्रा कुमारी चौहान महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली प्रथम महिला थीं। इस दौरान उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इससे भी उनकी लेखनी की धार और देशभक्ति की भावना कभी कम नहीं हुई। फ़रवरी 15, 1948 को एक महान कवियत्री, लेखिका और एक महान राष्ट्रभक्त का सड़क दुर्घटना में मात्र 44 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।