77 वर्षीया विमल दिघे ने पर्यावरण संरक्षण में योगदान देते हुए घर में लगवाई बायोगैस की यूनिट
पुणे की 77 वर्षीया विमल दिघे पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देते हुए 20 सालों से खाना पकाने के लिए बायोगैस का इस्तेमाल कर रहीं हैं। साल 2005 में अपने घर में बायोगैस यूनिट लगवाकर पूरे साल खरीदे जाने वाले एलपीजी सिलिंडरों की संख्या में कमी कर इस पर होने वाले खर्च को आधा कर लिया है। बायोगैस के सेटअप में दो पानी के टैंक होते है जिसमें नीचे की टैंक 1000 लीटर की क्षमता वाली होती है जिसे ‘स्लरी टैंक' बोलते है। इनमें बायोगैस एकत्र होकर पाइप के जरिये रसोई घर में जाती है।