हर साल 39 से 52 हज़ार माइक्रोप्लास्टिक के कणों को निगल रहे हैं मनुष्य: अध्ययन
रॉयल मेलबोर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लैब-आधारित अध्ययन के अनुसार 47% कछुए और चिड़ियों के मल में व 12.5% मछलियों में प्लास्टिक के सूक्ष्म और दूषित केमिल के कण पाए गए हैं। एक दूसरे अध्ययन के मुताबिक हर साल 39 से 52 हज़ार माइक्रोप्लास्टिक के कणों को मनुष्य द्वारा भी निगला जा रहा है। जिससे दुनियाभर के पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है। असल में माइक्रोप्लास्टिक 0.2 इंच से छोटे प्लास्टिक के कण है, जो समुद्र में सूरज, हवा या अन्य कारणों से प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूट माइक्रोप्लास्टिक बनाता है।