शुरु हो रहे हैं होलाष्टक, शुभ कार्य करने पर लग जाएगी रोक
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाएगी, जिसके आठ दिन पूर्व यानी मार्च 10 से होलाष्टक की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान मांगलिक कार्यों पर पाबंदी होती है। होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ होता है, जो इस वर्ष मार्च 17 को है। होलाष्ट के दौरान मुंडन, विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन समेत 16 संस्कारों को करने पर रोक होती है। इस दौरान नया वाहन खरीदना, नए व्यवसाय की शुरुआत नहीं की जाती है।
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फाल्गुन मास हुआ शुरू, इन बातों का रखे ध्यान
हिंदू पंचांग में अति महत्वपूर्ण फाल्गुन माह की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। शीतल जल से स्नान करने का विशेष महत्व होता है। भोजन में अधिक फल खाए और अनाज का उपयोग कम करे। रंगीन और सुंदर कपड़े पहने। नियमित रूप से भगवान कृष्ण की उपासना करे। फाल्गुन के महीने में नशीले पदार्थ और मांस मदिरा का सेवन करने से भी बचना चाहिए।
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परंपरा के तहत यहां दूल्हा दुल्हन बदलते हैं रूप
आंध्रप्रदेश के वेस्ट गोदावरी जिले में शादी से एक दिन पहले दूल्हा लड़की की तरह सजता है और दुल्हन लड़के की तरह तैयार होती है। गन्नामनि लोगों का ये रिवाज काकतिया शासकों के काल से जारी है। इसका मकसद लड़का-लड़की के बीच भेदभाव को दूर करना है। ये परंपरा महारानी रुद्रमा देवी के समय पर शुरु हुई थी। जब युद्ध में सैंकड़ो सैनिक मारे गए तो महिलाएं पुरुषों के कपड़े पहनकर रणभूमि में उतरी थी। तभी से ये परंपरा जारी है।
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कांसे, लोहे और तांबे के बर्तन में भोजन करने से मिलते है कई फायदे
भारत में अलग-अलग धातुओं से तैयार बर्तनों में लोग भोजन करते हैं, जिसके अपने अलग-अलग फायदे है। कांसे के बर्तन में भोजन करने से दिमाग बहुत तेज होता है। इसके अलावा रक्त विकार से सुधार होने के साथ-साथ भूख भी समय- समय पर लगती रहती है। लोहे के बर्तन में खाना खाने से शरीर की उर्जा ठीक होने के साथ आयरन की कमी दूर होती है। वहीं तांबे के बर्तन के उपयोग से गैस की समस्या के साथ लीवर संबंधी परेशानी भी दूर होती है।
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