जिनोमैक्स की मदद से घटती बाघों की आबादी को रोकने में मिल सकती है मदद
मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक बाघों की प्रत्येक उप-प्रजाति में एक दूसरे से बढ़ते अलगाव के परिणामस्वरूप अलग से जीनोमिक सिग्नेचर देखे गए हैं। अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया कि भारत के बंगाल टाइगर और अन्य उप-प्रजातियों की तुलना में इनमें उच्च स्तर के जीनोमिक विविधता होती है। कुछ आबादी में सजातीय प्रजनन के संकेत भी दिखते हैं क्योंकि पृथ्वी एक प्रमुख जलवायु परिवर्तन के दौर से गुजरी और प्रजातियों में तेजी से वृद्धि हुई है।