ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से होगा कीटनाशकों का छिड़काव
केंद्र सरकार अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल खेती के लिए करने जा रही है। ड्रोन के जरिए अब कीटनाशकों का छिड़काव किया जाएगा। इस ड्रोन तकनीक के जरिए ड्रोन में 10 लीटर कीटनाशक भरा जाएगा। ये ड्रोन मात्र 15 मिनट में एक एकड़ जमीन पर कीटनाशक छिड़क सकता है। इस तकनीक की मदद से समय, मेहनत की बचत होगी। कीटनाशक का छिड़काव भी बेहतर तरीके से होगा। कई अन्य कार्यों के लिए भी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
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10वीं में पढ़ने वाले छात्र ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर कायम की मिसाल: बिहार
बिहार के बेगूसराय जिले में रहने वाले एकलव्य कौशिक ने कम उम्र में स्ट्रॉबेरी की खेती कर मिसाल कायम की हैं। दरअसल, वातावरण कठिनाइयों के कारण स्ट्रॉबेरी की खेती करना मुमकिन नहीं होता। वहीं 10वीं में पढ़ने वाले 14 वर्षीय एकलव्य द्वारा किए गए प्रयास से यह कार्य मुमकिन हुआ है जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। लॉकडाउन के दौरान स्ट्रॉबेरी की खेती करने के विचार के बाद यूट्यूब और अपनों की मदद से एकलव्य यह करने में सफल रहे।
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जानिए क्यों मनाया जाता है उत्तराखण्ड में घी–त्यार
उत्तराखंड में कृषि प्रेम से जुड़े पर्व खास तरीके से मनाए जाते हैं। इसी क्रम में घी–त्यार भी अनोखे तरीके से मनाया जाता है। घी-त्यार ऋतु एवं कृषि पर्व है जिसके पीछे हृष्ट पुष्ट बनने का भाव है। इस त्योहार को नई फसल तैयार होने व उस पर बालियां निकलने की खुशी में भाद्रपद मास की संक्रांति को मनाया जाता है। इस दिन घी का सेवन करना जरूरी माना जाता है।
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महाराष्ट्र के ऑटो मैकेनिक जो साल में लगभग बीस टन आम उगाकर कमाते हैं लाखों रुपये
महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले काकासाहेब सावंत अंगूर, अनार और अन्य फलों के लिए अनुपजाऊ मानी जाने वाली जमीन पर 20 एकड़ में आम की खेती करते हैं और प्रतिवर्ष लगभग 20 टन आम उगाकर लाखों रुपये भी कमाते हैं। इससे पहले सावंत एक ऑटो मैकेनिक का काम करते थे। सावंत अपनी नर्सरी में आम के पौधे भी उगाते हैं, जिन्हे वो अच्छे दामों पर बेचते हैं। सावंत के इस कार्य के लिए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'उद्यान पंडित' की उपाधि से नवाजा है।
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‘गर्डलिंग’ तकनीक से बूढ़े पेड़ों को बनाया फलदार, मिले 2 लाख किलो से ज्यादा आम
गुजरात के वलसाड में रहने वाले किसान राजेश शाह ने ‘गर्डलिंग’ तकनीक से बूढ़े पेड़ों को फलदार बनाकर पिछले साल आम बागान से 2,30,000 किलो उपज की थी। राजेश का आम का बागान 65 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 100 पेड़ अब 125 साल के और 500 पेड़ 80 साल के हो चुके हैं। राजेश शाह को 2018 में ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान’ (IARI) ने ‘इनोवेटिव फार्मर पुरस्कार’ से नवाजा था।
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तीन भाईयों ने मिलकर शुरू किया मोती पालन, गांव के लोगों को दे रहे हैं रोजगार
वाराणसी के नारायणपुर गांव में रहने वाले तीन भाइयों ने अपनी नौकरी छोड़कर मोती पालन शुरू किया है। इसके ज़रिए वो अपने गांव के 180 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। श्वेतांक पाठक ने डेढ़ लाख रुपये के शुरुआती निवेश के साथ 2018 में ‘उदेस पर्ल फार्म्स’ शुरू किया था, जिसके साथ धीरे-धीरे श्वेतांक के भाई रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और उनके चाचा जलज जीवन पाठक भी अपनी नौकरी छोड़कर जुड़ गए।
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16 मशरूम से 5 लाख रूपये महीना कमाकर 'मशरुम किंग' बने मोटाराम शर्मा
राजस्थान के सीकर में मशरूम की खेती करने वाले मोटाराम शर्मा 'मशरूम किंग' के नाम से मशहूर है। 25 सालों से भी ज्यादा समय से मशरूम की खेती कर रहे मोटाराम शर्मा देश के किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। मोटाराम शर्मा अपने मशरूम के खेत में 16 किस्म के मशरूम उगाते है, जिनमें ओएस्टर, बटन, पिंक मशरूम, साजर काजू, काबुल अंजाई, ब्लैक ईयर, डीजेमोर, सिट्रो मशरूम, शीटाके जैसी किस्मों के साथ गैनोडर्मा और कार्डिसेप्स भी शामिल है।
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छत पर 150 तरह के फल-सब्जियां उगाकर प्रतिमाह 20,000रु कमाती हैं सुलफत
केरल के एर्नाकुलम जिले की रहने वाली 46 वर्षीया सुलफत मोइद्दीन अपने घर की छत पर जैविक तरीकों से लगभग 150 तरह के फल-सब्जियां उगा रही हैं। इससे उन्हें जिससे प्रतिमाह 20 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है। इन्हें साल 2020 में केरल के ‘सर्वश्रेष्ठ टेरेस किसान’ श्रेणी में पुरस्कार भी मिला है। इन्होंने लोगों की मदद के लिए और जानकारी साझा करने के लिए अपना यूट्यूब चैनल (… read-more
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दुनिया में क़रीब 35 फ़ीसदी भोजन का उत्पादन कर रहे हैं छोटे व सीमांत किसान: शोध
दुनिया भर में 2 हेक्टेयर से कम जोत वाले सीमान्त किसान, एक तिहाई से अधिक भोजन का उत्पादन करते हैं, जिसकी जानकारी सयुंक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा हुए शोध में पता चली है। जर्नल वर्ल्ड डेवलपमेंट के अनुसार हर छह में से पांच खेत 2 हेक्टेयर से भी छोटे हैं, जो कुल कृषि भूमि का केवल 12 फीसदी हिस्सा है। इसके पश्चात भी छोटे व सीमांत किसान विश्व के 35 फ़ीसदी खाद्य का उत्पादन करते हैं।
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