देश में मई 11-15 तक सामने आएँगे 33-35 लाख कोरोना के नए मामलें : शोध
देश में बढ़ रहे कोरोना मामलों के बीच एक शोध ने देशवासियों को और चिंता में डाल दिया है। शोध में वैज्ञानिकों के एक मैथमेटिकल मॉडल के मुताबिक मई 11-15 के बीच देश में 33-35 लाख नए कोरोना के मामलें सामने आएंगे। वहीं,इस शोध के चिंताजनक टिप्पणियों में यह भी कहा गया है कि गत वर्ष 2020 की कोरोना संक्रमण की लहर के मुकाबले यह मौजूदा दूसरी लहर 10 गुणा ज्यादा लोगों को प्रभावित करेगी।
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ICAR-NRRI के वैज्ञानिकों ने कीटों से निपटने को बनाया "सौर चालित प्रकाश प्रपंच"
कटक के भाकृअनुप – राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) के वैज्ञानिकों ने फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचने के लिए एक ट्रैप सिस्टम ‘सौर चालित प्रकाश प्रपंच’ उपकरण का अविष्कार किया है। इनके इस अविष्कार के लिए फरवरी 2021 में उन्हें एक पेटेंट भी मिल गया है। खेतों में कीट-प्रबंधन में मददगार इस ट्रैप सिस्टम में नीचे की और एक बल्ब लगा है जो कीटों को अपनी तरफ आकर्षित कर एक चेम्बर में इकट्ठा कर देता है।
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शोध: ज्वालामुखी नहीं था डायनासोर के विनाश का कारण
पृथ्वी का तीन चौथाई जीवन और डायनासोर 6.6 करोड़ साल पहले धरती से एक क्षुद्रग्रह के टकराने के बाद खत्म हो गया था। वैज्ञानिकों ने नए शोध में महाविनाश के कुछ अहम प्रमाण हासिल किए हैं, जिसमे ज्वालामुखी कार्बन उत्सर्जन महाविनाश का कारण नहीं था क्योकि उस समय पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं हुआ था। इस दौरान ज्वालामुखी से जो लावा निकला उस लावे में कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकला था। इस घटना पर अलग-अलग वैज्ञानिको के तर्क एक दूसरे… read-more
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भारतीय वैज्ञानिकों कर रहे हैं रोगग्रस्त फसलों की पहचान करने वाले ऐप पर काम
भारतीय वैज्ञानिकों कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) फसल के पौधों में रोगों की पहचान करने के लिए गहन-शिक्षण तकनीकों का उपयोग कर रहे है जिसे मोबाइल फोन ऐप में शामिल किया जा सकता है। इस एप्लीकेशन में किसानों को रोगग्रस्त पत्ती का एक स्नैपशॉट लेना होगा जिसके बाद ऐप छवि का विश्लेषण कर वास्तविक समय में फसल में लगी बीमारी की पहचान बताएगा। इस एप्लीकेशन की मदद से किसानों को स्वस्थ और रोग वाले पौधों के बीच अंतर भी बताएगा।
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सीएसआईओ ने बनाया बैक्टेरिया-वायरस से बचाव करने वाला पारदर्शी मास्क
चंडीगढ़ की सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईओ) की वैज्ञानिक डॉ. सुनीता मेहरा ने पॉलीमर से एक पारदर्शी मास्क बनाया हैं। यह मास्क कोरोना के साथ बैक्टीरिया व वायरस से भी बचाव करेगा और इसे सामान्य कपड़े की तरह धाेकर दाेबारा इस्तेमाल किया जा सकता हैं। बायाे पाॅलिमर हाेने से यह पर्यावरण काे भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। चश्मा लगाने वाले लोगाें के लिए उन्होंने एंटी फॉगिंग सॉल्युशन की कोटिंग भी की है। इसे तैयार करने में चार महीने का… read-more
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ग्रीनलैंड: बर्फ के गड्ढे से मिले पौधे, टहनी और पत्तियों का जीवाश्म
यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमोंट के वैज्ञानिकों को ग्रीनलैंड में करीब 55 साल पहले परमाणु बम छिपाने के लिए खोदे गए एक मील गहरे गड्ढे के नमूने से जीवाश्म में बदल चुके पौधे, टहनी और पत्तियां मिली है। जिससे ये पता चला है कि करोड़ों साल पहले यह इलाका बिना बर्फ का था। आइसकोर की खुदाई अमेरिकी सेना ने गुप्त रूप से सैकड़ों परमाणु बम को छिपाने के लिए की थी। फिलहाल वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन की वजह से आइस शीट को नाजुक बताते हुए बर्फ पिघलने की चेतावनी दी है… read-more
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रूस की मर्खा नदी के पास देखी गयी रहस्यमयी धारियां
मॉस्को में सैटेलाइट की तस्वीरों के माध्यम से वैज्ञानिकों को रूस की मर्खा नदी के पास रहस्यमयी धारियां देखने को मिली है। एक रिसर्च के मुताबिक रूस का यह इलाका साल के ज्यादातर दिन बर्फ से ढंका रहता है, कभी-कभी गर्मियों में बर्फ पिघलने से जमीन दिखाई देने लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार बर्फ के नीचे दबने और पिघलने पर जमीन के बाहर आने से ये रहस्यमयी धारियां बन गयी है। यह रहस्यमय धारियां सर्दियों में बर्फ की वजह से बिल्कुल साफ दिख जाती हैं।
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एक ताज़ा अध्ययन के मुताबिक कपड़ों पर तीन दिनों तक जीवित रह सकता है कोरोना वायरस
ब्रिटेन: लीसेस्टर शहर में स्थित डी मोंटफोर्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ताज़ा अध्ययन में यह पाया है कि कोविड-19 वायरस सामान्य रूप से पहने जाने वाले कपड़ों पर तीन दिनों तक जीवित रह सकता है। वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में कोरोना वायरस स्वास्थ्य सेवा से जुड़े उद्योग में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले तीन तरह के कपड़ों का उपयोग किया है। जैसे यह वायरस कपड़ों समेत कौन सी सतह पर कितने समय तक जिंदा रहता है, इसको लेकर कई शोध पहले भी हो चुके हैं… read-more
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बंदरों की कमी के वजह से वैज्ञानिकों ने वैक्सीन का रोका परीक्षण
बंदर का डीएनए और प्रतिरक्षा प्रणाली लगभग इंसान के समान है इसलिए वैक्सीन का परीक्षण करने में इन्हें उपयोगी माना जाता हैं, ऐसे में बंदरों की कमी से वैज्ञानिकों को नई समस्या से जूझना पड़ रहा है। रॉकविले स्थित बायोक्वॉल के सीईओ मार्क लुईस पिछले कुछ महीनों से बंदरों की खोज में लगे हैं, पर उन्हें 7.25 लाख रुपए में भी एक बंदर नहीं मिल पा रहा है। सीडीसी के मुताबिक अमेरिका ने 2019 में 60% बंदर चीन से ही लिए थे।
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वैज्ञानिकों ने खोज निकाला पांचवे डायमेंशन में पोर्ट होने वाला पार्टिकल
वैज्ञानिकों ने प्रत्यक्ष आकर अब एक खुलासा किया है की वे एक पार्टिकल की मदद से 'डार्क-मैटर' की व्याख्या कर सकते है जो की उनके अनुसार सीधा पांचवे डायमेंशन से जोड़ता है। युरोपियन फिजिकल जर्नल सी में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार यह पार्टिकल हमें डार्क-मैटर पर कुछ स्पष्टता प्रदान कर सकता है। डार्क-मैटर अभी तक कभी प्रत्यक्ष रूप से देखा नहीं गया है लेकिन हमारे ब्रम्हांड के अधिकांश द्रव्यमान के लिए ज़िम्मेदार है।
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