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10 साल की मान्या ने बनाये प्याज़, लहसुन के छिलकों से इको-फ्रेंडली पेपर
छठी क्लास में पढ़ने वाली मान्या ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। 10 साल की मान्या ने प्याज़, लहसुन और टमाटर के छिलकों से A4 साइज के इको-फ्रेंडली पेपर बनाए हैं। ये कारनामा करने के बाद मान्या की हर तरफ तारीफ हो रही है। मान्या ने अब तक प्रकृति के विषय पर पांच किताबें भी लिखीं हैं। मान्या लगातार लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक करती रहती है।
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हरियाणा के ‘शिव दर्शन’ गोबर से करते हैं सीमेंट और ईंट का निर्माण
हरियाणा के शिव दर्शन गाय के गोबर से सीमेंट और ईंट का निर्माण करते हैं। इससे उन्हें 50 लाख का सालाना टर्नओवर प्राप्त होता है। शिव दर्शन ने 100 से भी ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी है। शिव दर्शन ने अपने काम की शुरुआत 2015-16 में प्रोफेशनल लेवल पर की थी। वो गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी और नींबू पाउडर का प्रयोग करके सीमेंट तैयार करते हैं और यह पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।
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घर के कबाड़ को प्लांटर बना कर पेश कर रहें हैं ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ का उदाहरण
नागपुर के रहने वाले संजय मधुकर पिछले 10 सालों से हर बेकार चीज़ में पौधे लगा रहे हैं। संजय ने बताया,"अक्सर घरों में छत को ‘डंपयार्ड’ की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हमारे घर का भी यही हाल था, जिसे मैंने धीरे-धीरे हर कबाड़ को प्लांटर में बदल दिया।" यह गार्डन 1500 वर्ग फ़ीट में फैला ‘बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट’ का बेहतरीन उदाहरण है। संजय के बगीचे में सब्जियां, फल, सक्यूलेंट, अडेनियम, बोनसाई के अलावा ऑक्सीजन प्लांट भी है।
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इंटरनेट से जानकारी लेकर किसान ने उगाए ड्रैगनफ़्रूट, लाखों में हो रहा मुनाफ़ा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी के रहने वाले रविंद्र पांडेय ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं, जिससे उनकी कमाई लाखों में हो रही है। रविंद्र इंटरनेट की मदद से ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़ी जानकारी लेते थे। खेती से साल 2019 में रविंद्र को एक लाख का वहीं साल 2020 में रविंद्र को 5 लाख का मुनाफा हुआ है। रविंद्र अन्य किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट के पौधे उपलब्ध कराते हैं और उससे जुड़ी जानकारियां साझा करते हैं।
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केरल के युवक ने किया सूरज की रोशनी से मच्छरों को मारने वाले यंत्र का आविष्कार
केरल के रहने वाले मैथ्यूस ने सूरज की रोशनी से मच्छरों को मारने वाले यंत्र का आविष्कार किया है। एक दिन गौर करने पर मैथ्यूस ने महसूस किया कि मच्छर रोशनी की तरफ आकर्षित होते हैं और वे ठंडक और नमी वाली जगह तलाशते हैं, जहां वे प्रजनन कर सकें। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कई सालों की मेहनत के बाद, उन्होंने यह ‘हॉकर’ यंत्र बनाया है। यह यंत्र रसायन मुक्त और इको फ्रेंडली है।
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तेलंगाना के राजू मुप्परपु ने मकई की भूसी से बनाया 'इको-फ्रेंडली' पेन
तेलंगाना में गोपालपुरम गाँव के रहने वाले राजू मुप्परपु ने मकई की भूसी का इस्तेमाल करके इको-फ्रेंडली पेन का आविष्कार किया है। उन्होंने कम लागत वाले कई आविष्कार किये हैं, जिनमें स्ट्रीट लाइट के लिए सेंसर और बैटरी से चलने वाली साइकिल भी शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने अप्रैल 27 को भूसी से इको फ्रेंडली पेन बनाया है। पेन बनाने के लिए धातु की छड़ और मेजरिंग टूल का इस्तेमाल किया, जिसमें मकई का भूसा ऊपर लपेटा है।
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मंजू नाथ ने पत्नी संग मिलकर बनाया इको-फ्रेंडली घर
मंजू नाथ और उनकी पत्नी गीता ने बेंगलुरु में इको फ्रेंडली घर बनाया है। इस घर में बिजली-पानी के साथ, सब्जियां उगाने के लिए भी वे प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करते हैं। ईंट-पत्थरों से बना ये घर पूरी तरह से सोलर-पावर से चलता है। हर साल दोनों मिलकर हजारों लीटर बारिश के पानी के साथ बिजली की भी बचत करते हैं। साथ ही घर से निकले कचरे के इस्तेमाल से खाद बना वें तरह-तरह कि सब्जियाँ भी उगाते हैं।
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रामचंद्रन सुब्रमण्यम ने प्रकृति का सहारा लेकर बनाया 'इको-फ्रेंडली' घर
तमिलनाडु के रहने वाले रामचंद्रन सुब्रमण्यम ने अपने घर को इको-फ्रेंडली तरीके से बनाया है। इन्होने घर बनाने के लिए लगभग 23 हजार सीएसईबी ब्लॉक बनवाए हैं। घर में रीसाइकल्ड’ मटेरियल का इस्तेमाल किया है। घर के बाथरूम और टॉयलेट में उन्होंने कोई टाइल्स नहीं लगवाई है। बल्कि उन्होंने पत्थरों से बचे छोटे-छोटे टुकड़ों को डिजाइनिंग के लिए इस्तेमाल किया है। घर के चारों तरफ ढेर सारे पेड़-पौधे लगे हैं जिसके कारण उनके घर में शुद्ध हवा आती है।
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बेंगलुरु के सुमेश नायक ने 8 सालों में अपने घर पर लगाए 1400 पेड़
बेंगलुरु के रहने वाले सुमेश नायक और उनकी पत्नी मीतू नायक ने अपने घर में 1400 से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं। सुमेश औऱ उनकी पत्नी मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करने के साथ 8 सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं। उन्होंने घर में इंडोर प्लांट के साथ-साथ, मौसमी सब्जियां और लगभग 25 किस्म के फल वाले पेड़ लगाए हैं। साल 2007 में बेंगलुरु आने के बाद घरों में हरियाली न देखकर उन्होंने टमाटर, मिर्च, बैगन और भिंडी जैसी सब्जियां उगाना शुरू किया।
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राजस्थान के सिविल इंजीनियर आशीष ने बिना सीमेंट के बनाया इको-फ्रेंडली घर
राजस्थान डूंगरपुर में रहनेवाले सिविल इंजीनियर आशीष पंडा का घर इको-फ्रेंडली तरीके से बना हुआ है। कॉलेज के शुरुआती दिनों से ही आशीष का सामाजिक विषयों और प्राकृतिक संसाधनों की ओर काफी झुकाव था। इसलिए उन्होंने अपने घर का निर्माण पर्यावरण के अनुकूल किया है, जिसमें नींव से लेकर बाहर-भीतर तक, सबकुछ पर्यावरण के अनुसार है। इस घर में बलवाड़ा के पत्थर, घूघरा के पत्थर, चूना इत्यादि लोकल सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है।
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